मकरसंक्रांति 2025: मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा,हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को सुबह के 2 बजकर 58 मिनट पर प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति के दिन सुबह गंगा स्नान, व्रत, कथा दान और भगवान सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व माना जाता है।
मकरसंक्रांति 2025: इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को सुबह के 2 बजकर 58 मिनट पर प्रवेश करेंगे। इसी के साथ खरवास समाप्त हो जाएगा, और मकर संक्रांति के त्यौहार के साथ ही शुभ कार्य भी शुरू हो जाएंगे।
मकर संक्रांति के पर्व को कुछ-कुछ राज्यों में उत्तरायण भी कहा जाता है। शास्त्रों की माने तो मकर संक्रांति के दिन सुबह गंगा स्नान, व्रत, कथा दान और भगवान सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व माना जाता है।
मकरसंक्रांति 2025: जाने सही मुहूर्त, पूजा विधि, पंचांग
मकर संक्रांति से शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य :
मकरसंक्रांति 2025: सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही एक माह से चल रही खरवास का भी समापन मकर संक्रांति को हो जाता है, जिस के बाद विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश,जैसे मांगलिक कर भी शुरू हो जाएंगे। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर आते हैं।
मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है वही मकर संक्रांति से सर्दियां खत्म होने लगते हैं और वसंत ऋतु की शुरुआत होती है मकर संक्रांति के पर्व पर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और भगवान को भोग लगाए जाते हैं।
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इस कारण मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्यौहार :
मकरसंक्रांति 2025: 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा लेकिन क्या आपको पता है कि मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है। आइए जानते हैं मकर संक्रांति के पीछे क्या है कहानी। शास्त्रों की माने तो महाभारत में भीष्म पितामह ने अपनी दिया त्यागने के लिए मकर संक्रांति की तिथि चुनी थी, महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद भी कई दिनों तक भीष्म बड़ों की शय्या पर ही लेटे थे।
बताया जाता है कि भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। इस वजह से भी इतनी बढ़ लगने के बाद भी जीवित थे। अनीता है कि उत्तरायण से देवताओं का दिन शुरू होता है यह धर्म कर्म और दान पूर्ण के नजरिए से संक्रांति का महत्व काफी अधिक है। दिन किए गए नदी स्नान, पूजन और दान से अक्षय पूर्ण मिलता है ऐसा पूर्ण जिसका असर जीवन भर बना रहता है। इस कारण मकर संक्रांति का त्योहार हर साल मनाया जाता है।
मकर संक्रांति को दिन सूर्य देव को जल:
- मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
- भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना करें
- सूर्य देव की पूजा करने से पहले एक थाली में मौली, लौंग,गुड, दूध, घी व दही रखें
- और सूर्य देव की पूजा पाठ करें
- उसके पश्चात एक पीतल के लोटे में काले तिल वह अक्षत डालकर सूर्य देव को जल अर्पित करें
- ऐसा करने से भक्तों के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होते हैं और उनके सभी रोग कष्ट मुक्त होते हैं।
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